Sunday, April 14, 2019

सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली


"सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली"

अरे तो इसमें दिक्कत क्या है भाई? बिल्ली हज को ही तो चली है, मैखाने की तरफ तो नहीं रूख किया है। कुछ लोगों की प्रवित्ति ही ऐसी होती है, निराशावाद से भरी हुई। इन लोगों की अगर आप सुनने लगेंगे तो एक समय आपको ऐसा लगेगा की आत्म सुधार बस इक मित्थ्या मात्र है, और कुछ नहीं। इनकी मानें तो आप अपने भूत की ऐसी संतान हैं जो नकारात्मकता से भरी हुई है। ऐसी संतान जिसका भूत भविष्य और वर्तमान, सब गर्त मैं पड़ा हुआ है। और गर्त भी तो ऐसा गर्त जिसमें से; इन जैसे लोगों के अनुसार; निकलना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। अगर आप इन लोगों की बातों को जयादा महत्त्व देंगे और गम्बीरता से लेंगे तो आप वो बिल्ली बन के रह जायेंगे जो अगर आत्म सुधार के तरफ कोई भी कदम उठाये तो कदम उठाने से पहले ये बोल के टोक दिया जाये "हुंह! सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली"। और फिर आप अपने आप को उस अनंत, कभी समाप्त न होने वाली प्रक्रिया में फंसे हुए पाएंगे। जिसमे आप इन निराशावादी लोगों को ये विश्वास दिलाने में लग जाते हैं की, आत्म सुधार, बेहतर भविष्य, एक ठोस संभावना है। ये लोग नहीं मानेंगे। आप और प्रयास करेंगे, ये लोग फिर आपको यह कह के झुठला देंगे की "सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली"।

आप पूछेंगे की हम किसी भी राह चलते निराशावादी मनुष्य को क्यों विश्वास दिलाने में अपनी ऊर्जा व्यर्थ करेंगे। पर ऐसे कुछ निराशावादी लोग आपके बहुत करीबी भी तो हो सकते हैं।  पर क्यूंकि ये लोग आपके इतने करीबी होते हैं, तो आप इन लोगों को विश्वास दिलाने में अपनी जरूरी ऊर्जा व्यर्थ कर देते हैं। इस ऊर्जा, जिसका आप आत्म सुधार, एक बेहतर भविष्य, जैसी संभावनाओं को हकीकत बनाने में लगा सकते थे, उसे आप इन कभी न समझने वाले लोगों को समझाने में नष्ट करते अपने आपको पाते हैं। क्या किया जाये की आप जयादा समय इन लोगों को अपनी सकारात्मकता सिद्ध करने में न व्यर्थ करें, और जल्दी होश में आ के इस ऊर्जा का उपयोग अपनी ज़िन्दगी को एक सकारात्मक आकार देने में लगाएं।

ऐसा करने के लिए दो अंश हैं:
१) अभिज्ञान
२) उपेक्षा

अभिज्ञान से तात्पर्य है की पहले पता तो लगाइये की ये व्यक्ति जो आपका बहुत करीबी है, वो एक नकारात्मक विचारशैली का धारक है। और अपने साथ वो आपको भी पीछे की तरफ खींच रहा है। जिस पल आपको इस बात का ज्ञांत हो जाता है, आप इस मनुष्य की उपेक्षा प्रारम्भ कर देंगे। जैसे ही आप इस प्राणी की उपेक्षा करना शुरू कर देते हैं, आप पाएंगे की आपको इसकी किसी भी बात का अब कोई असर नहीं पड़ रहा है। अब आपके लिए इस मनुष्य को कुछ साबित करना अनिवार्य नहीं है। आपकी इस व्यक्ति की तरफ कोई जवाबदेही नहीं है। तब जा के कहीं आप अपनी महत्वपूर्ण ऊर्जा का सदुपयोग करना प्रारम्भ करेंगे और अपने जीवन को एक नयी दिशा देने का काम प्रारम्भ करेंगे।


No comments:

Post a Comment